आज फिर कोई

दिल को आज फिर कोई
और शेर याद आया है

तेरे रुखसार से लिपटा
हुआ  फूल याद आया है

तेरे जाने की ज़िद ने ना
पूछ कौन से ज़ख्म पाए है

रोशनी ने जलाने की ठानी
चाँदनी का मरहम लगाया है

जीने वालो ने मरने के लिए
देख क्या ख्वाब सजाया है

आराधना राय अरु

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