मन कि प्याली

महक रही डाली डाली
फूलों कि क्यारी क्यारी
आज श्रृंगार कर लेने दो
 बहकी  मन कि प्याली

छलना कौन आने वाली
अभी चल बन मतवाली
अलके संवार कर  विहार
सज़ा  रागों से प्राण आली

ऋतु आ कर जाती चली 
पी की ड्योरी बुला रही
 भावों का हाला पाएगा
 प्रियतमा आ ले जाएगी

आराधना राय "अरु"








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