प्रयाण



साभार गुगल

15 अगस्त पर विशेष

 प्रयाण
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हिमालय की चोटी आवाज़ देती है
रगों में नया सा ये उन्वान देती है
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रातों को जग कर प्रहरी सा वो अटल रहा
जिसका सीना सदा ही देश के लिए रहा
जिसका लहु गंगा सा बह कर पवित्र रहा
हे वीर आर्येवत पर तू सदा विजित रहा
रण में शौर्य -पताका वो फहराता ही रहा
देख आसमां से कोई शत्रु फिर से ना रहे
कोई चिंगारी दिखा फिर यहाँ ना कोई रहा
सज़ग ,धीरता से तुम्हारा ही प्रयाण रहा
आराधना राय "अरु"



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